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Writer's pictureArchana Anupriya

काल


सुनाई नहीं देती

काल के कदमों की चाप

पर हर पल महसूस होती है

कण-कण पर इसकी थाप..

सुख और दुख,हँसीऔर गम

समय की सभी लीला ही तो है

बेपनाह देता,बेरहमी से छीन लेता

समय कितना हठीला भी तो है..

बना दे कभी राई को पर्वत

गिरा दे कभी अर्श को फर्श पर

बदल दे गम को असीम खुशियों में

कभी कालिख उड़ेले मन के हर्ष पर..

दर दर पर जाता है यह काल

कभी अच्छा तो कभी बुरा बन कर

कुछ भी अछूता नहीं है इससे

मनुष्य हो,दानव हो या हो ईश्वर..

सृष्टि का जन्मदाता है समय

यही है हर अंत और आरंभ

धूप छांव में बीतते हुए चलता है

यही है निराशा और आशा का स्तंभ..

कीमत जान लो इसकी अभी

समय की गति ही बलवान है

काल के कदम न रुके हैं, न रुकेंगे

जो समझ ले इसे,वही तो महान है..


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