तेरी आँखों की शराब पर..
हजारों मयखाने कुर्बान..
*********************
आँखों ने झुककर हामी भर दी...
लबों ने तो ओढ़ ली थी खामोशी...
**********************
आँखें कहीं पर,धड़कनें कहीं पर..
हर मुहब्बत आवारा होती है जनाब..
***********************
मस्त आँखों ने जरा पलकें क्या उठायीं..
सुलग उठा मौसम बरसात की रात में..
*************************
आँखों से इक दरिया सा निकल गया..
खामोश रहकर वह सबकुछ कह गया..
**************************
अपनों ने अपनी नजरें क्या फेरीं..
बरसों से बंद आँखें खुल गयीं..
**************************
आँखों की कोरों से पानी बह रहा था..
न जाने कौन सी ख्वाहिश पिघल रही थी..
**************************
आँखों में नदियाँ बड़ी खामोशी से बहती हैं...
छुपी हैं कई कहानियाँ मगर खामोश रहती हैं...
*************************
अक्सर आँखें खुद नहीं देख पातीं...
मंजिल और रास्ते गुरू दिखाते हैं..
*************************
माँ की आँखें एक जादुई आईना है दोस्तों...
इसमें किसी को अपनी उम्र नहीं दिखती...
**************************
मेरे दर्द भी लाजवाब हैं दोस्तों,
कईयों के काम आते हैं...
आँखें जब भी आँसू बहाती हैं,
कई लोग मुस्कुराते हैं...
© अर्चना अनुप्रिया..
Comentarios