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Writer's pictureArchana Anupriya

"अपनों की परख"


जीवन के इम्तिहान में छल से भरे जहान में अपनों की होती है परख दुःखों के आसमान में… जब साथ में समय न हो क्या होगा आगे तय न हो तब वक्त की कसौटी पर रख दो कदम पर,’मैं’न हो… अगर ठोकरें हों सामने नहीं कोई हाथ थामने तो,ईश की परीक्षा मान बढ़ो राह में सम्मान से… जो होगा ‘अपना’, आयेगा हर घड़ी वो साथ निभायेगा खोलेगा आँख ये इम्तिहान हर गैर छँटता जायेगा… बड़ी कीमती है ये परख फँसें न माया को निरख लाती है सच ये सामने बढ़ाती है जीने की ललक…।

सौजन्य: पुस्तक "और खामोशी बोल पड़ी"





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