१)धड़कते दिल की इमारत में न इबादत है,न बंदगी..
ईंट -पत्थर के मंदिर -मस्जिद में खुदा ढ़ूंढ़ते हैं लोग..
२)मजबुरियां सिखा देती हैं और समझदारी..
वरना,
अल्हड़पन और बचपन कौन नहीं चाहता..?
३)बेटियां होती हैं खुशियां,
परियों जैसी तितलियां..
चुलबुली गुड़ियों का जादू,
हंसती,मुस्कुराती बगिया..
४)इस कदर मेरे ख्वाबों का हिस्सा हो गये हो..
लफ़्ज़ों में नहीं लम्हों में दिखाई देते हो तुम..
५)पूनम की रौशनी का उजाला था
चारों तरफ़..
कोई क्या ही समझता एक सितारे
की चमक ..
६)अपनों में अपनों की नजर ढ़ूंढ़ता रहा..
अपने ही घर में अपना घर ढ़ूंढ़ता रहा..
७)बातें सुलझीं,जब बातें सुन ली गईं..
बातें उलझीं,जब बातें सुना दी गईं..
८)जीवन अगर सादा होगा..
तो तनाव भी आधा होगा..
९)हालात,आघात,किताब
जो सबक सिखाते हैं..
वो सबक सारी दुनिया के
लिए सीख बन जाते हैं..
१०)लफ़्ज़ों में दांत नहीं पर,काट लेते हैं..
ईंटें नहीं गिरतीं,लोग घर बांट लेते हैं..
११)रात तूफानी हो,अंधेरा घना हो,मगर,
मन में उम्मीद का दीया जलाये रखना..
गहरी खाई हो, कोई पास न हो,मगर,
अपना हौसला,विश्वास बनाये रखना..
१२)खिड़की से चांद उतर आया मेरे कमरे में..
निखर गयी चांदनी मेरे ख्वाब से मिलकर..
१३)सूखे तिनके पड़े थे यूं ही टूटे से इधर-उधर..
चंद पक्षियों के हुनर ने उन्हें घर बना दिया..
१४)खराब हो रही हैं हवायें हर शहर की..
क्या जहर घोल रहे हैं लोग व्यवहार में..?
१५)आ रही हैं पलट कर फिर वही सर्द शामें..
फिर जलने को बेताब है दिल तेरी याद में..
१६)सही को सही साबित करना मुश्किल था..
सही होते हुए ग़लत कहा जाना आसान था..
१७)वो सब देख रहा है,सबकी
परेशानियां,सबके संघर्ष..
हर वक्त उसकी नज़रों में है,
सबकी नीयत,सबके कर्म..
१८)ऊंचा कहां उठता है कोई पंख लगाने से..
आसमां मुठ्ठी में आता है सिर झुकाने से..
१९)ज्यादा समझदारी अकेला करती है..
बेवकूफ बने रहें, रिश्ते बने रहेंगे..
२०)क्या हिसाब रखें ख्वाबों और तमन्नाओं का..
हर जिंदगी में पलकों तले ये मेरे साथ चलेंगे..
२१)बहुत से तरीके हैं दुनिया को जवाब देने के..
बंद लबों से जवाब देना ज्यादा असरदार है..
२२)दरवाजे की चौखट पर हर रोज बैठा करता है परिंदा..
लकड़ी में खुशबू थी उसकी मां के साथ बिताये लम्हों के..
२३)कभी-कभी जायज़ हो जाता है
दुश्मनी निभाना भी..
जानने वाले जब शतरंज का दांव
खेलने लग जाते हैं..
२४)जरूरी नहीं कि लेखक अभाव में जिये..
जरूरी है कि वो शब्दों के प्रभाव में जिये..
२५)हर युग बदलने से पहले दुनिया
गुजरती है महायुद्ध से..
क्यों हर युग में युद्ध के बिना कुछ
नया संभव नहीं होता..?
२६)फलक का चांद किसी सरहद
का मोहताज नहीं..
हर मुल्क की छतों पर जाकर
टहलता है रात-भर..
२७)खुद पिसकर अपने लहू से हाथों में
सुहाग रचाती है..
मेंहदी प्रेम-रस से भिगोकर दिलों में
प्रेम जगाती है..
© अर्चना अनुप्रिया
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