top of page
Writer's pictureArchana Anupriya

मन का साथी-किताब

थके से मन को मेरे

सुकून देती हैं किताबें

यादों, सपनों, ख्यालों

का हुजूम हैं किताबें…

ऊब जाता है मन

जब दुनिया के

स्वार्थी आचरण से

उलझ जाता है जीवन

जब संसार के

बनावटी आवरण में

तब उलझनें हटाकर

राहत दिलाती हैं किताबें

प्रेम,विश्वास, सच्चाई की

चाहत बढ़ाती हैं किताबें…

ज्ञान का भंडार हैं ये

अद्भुत, अकल्पनीय

एक तरफा व्यवहार हैं ये

बस,देना जानती हैं

चंद पन्नों में बँधा

पूरा जहान हैं ये

संस्कृति, संस्कारों से भरा

आदर्श महान हैं ये

सबकी दुनिया संवारती हैं…

ऋणी हूँ तेरी, ऐ दोस्त

कदम-कदम पर राह

दिखाई है तुमने

मां सरस्वती का अनोखा

वरदान बनकर

नैतिकता की चाह

जगाई है तुमने

मार्गदर्शक हो मेरे

अवलंब जीवन के

मेरे साथी…मेरी किताबें…।

2 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page