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Writer's pictureArchana Anupriya

"मैं भारत बोल रहा हूँ.."

"मैं भारत बोल रहा हूँ.."


मैं भारत,लहराते तिरंगे की ऊँचाई से बोल रहा हूँ..

अपने दिल की बातें सभी के सामने खोल रहा हूँ..

बरसों की गुलामी के बाद ही तो आजादी मिली है..

कई बेड़ियाँ टूटीं,तब कहीं राह सतत आगे बढ़ी है..

धोखे से हारा कई बार पर लड़ता रहा,बढ़ता रहा..

विपरीत हालातों में भी,हौसला बनकर खड़ा रहा..

सिंहमित्र भरत का वंशज हूँ,मेरा शौर्य-इतिहास है..

यहाँ ईश्वर ने जन्म लिया,यहाँ गीता का विश्वास है..

मेरी अपनी भाषा,अतुलनीय अनमोल संस्कार हैं..

है मन में विज्ञान समाह्रत,सारी वसुधा ही परिवार है.. 

शांति के दुश्मन की नजरों में शायद मैं तैयार नहीं..

मगर,किसी से कमतर तो मेरा कोई भी वार नहीं..

अपने उत्थान का हर एक लक्ष्य मैं पाकर रहूँगा..

समय चाहे विपरीत हो,उसके आगे जाकर रहूँगा..

जीतने की जिद है गर तो सतत आगे बढ़ना होगा..

विश्वगुरु बनना है तो हर विरोधी से लड़ना होगा..

माना काँटें हैं बहुत मगर, घबराने से क्या होगा..?

धीरज,एकता,साहस से ही अपना ये जहाँ होगा..

पहले जो हुआ,उससे सीखकर आगे की राह करें..

तूफानों से लड़कर ही ये विकास-नौका पार करें..

जीत अवश्य आयेगी, हमारी मेहनत से हारकर..

विश्व आयेगा मेरे पीछे,ऐ वक्त,तू बस इंतजार कर..

                       ©

अर्चना अनुप्रिया

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