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Writer's pictureArchana Anupriya

"हिन्दी"-MY QUOTES

किसी भी भाषा से बैर नहीं है मगर...

माँ के रूप में मुझे हिन्दी ही चाहिए...

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हिन्दी से लेखनी सँवरती है ऐसे...

बिन्दी से सजी कोई नार हो जैसे...

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समुन्दर सी गहरी और विशाल है हिन्दी...

नदियों सी बोलियाँ चली आती हैं मिलने...

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मिट्टी की खुशबू,संस्कृति की

झलक है हिन्दी के शब्दों में...

आदमी से ही नहीं पेड़-पौधों

से भी सिखाती है प्यार करना...

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साथ लेकर चलने का संस्कार है हिन्दी..

अधूरे वर्ण को सँभाल लेता है एक पूरा वर्ण...


© अर्चना अनुप्रिया

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